एक बार एक साधु और उसका शिष्य जंगल में यात्रा कर रहे थे। चलते-चलते उन्होंने एक बूढ़े वृक्ष के नीचे बैठने का निश्चय किया। साधु ने शिष्य से पूछा, “क्या तुम जानते हो, जीवन का सत्य क्या है?” शिष्य सोच में पड़ गया और बोला, “गुरुजी, यह तो बहुत कठिन प्रश्न है।”
साधु मुस्कुराए और बोले, “देखो इस वृक्ष को। यह अपने फल, छाया और ऑक्सीजन से सभी को जीवन देता है, फिर भी इसे कुछ भी वापस पाने की चाह नहीं है। यह हमें सिखाता है कि जीवन का सत्य है सेवा, त्याग और विनम्रता। जीवन एक यात्रा है, जहां हम अपने कर्मों से दूसरों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।”
शिष्य ने सिर झुकाकर कहा, “गुरुजी, अब मैं समझ गया हूं कि जीवन का सत्य दूसरों की भलाई और नि:स्वार्थ कर्म में है।”