Guru Nanak Dev Ji Sikkim Sakhi | गुरु नानक देव जी की सिक्किम यात्रा – चुंगथांग की चमत्कारी गाथा
🙏 गुरु प्यारी साध संगत जी,
सत्संग की इस पावन घड़ी में आइए, हम आपको लेकर चलते हैं एक ऐसे दिव्य स्थल की यात्रा पर, जहाँ सतगुरु श्री गुरु नानक देव जी महाराज ने अपने पावन चरण टिकाए — एक ऐसा स्थान, जो आज भी उनकी दिव्य उपस्थिति की गवाही देता है।
यह कथा है सिक्किम के सुंदर नगर चुंगथांग की।
कहा जाता है कि अपनी तीसरी उदासी के दौरान, गुरु नानक देव जी जब चीन और तिब्बत की ओर जा रहे थे, तब उन्होंने इस स्थान पर विश्राम किया।
🌳 यहाँ एक चमत्कारी घटना घटी।
गुरु जी ने अपनी पवित्र छड़ी को एक स्थान पर गाड़ा — और समय के साथ, वह छड़ी एक पेड़ में परिवर्तित हो गई।
आज भी वहाँ एक पेड़ खड़ा है, जिसका तना बिल्कुल छड़ी के आकार का है, और उसकी पत्तियाँ उस छड़ी के हैंडल जैसी दिखाई देती हैं।
💧 इस पावन स्थल पर गुरु जी ने एक अमृत कुंड की भी स्थापना की — एक जल स्रोत, जिससे आज भी निर्मल जल प्रवाहित होता है।
यह जल आज भी लोगों को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
⛰️ लेकिन चुंगथांग की कथा यहीं खत्म नहीं होती…
गुरु नानक देव जी ने यहाँ आकर “कर्मा पा निंग मा पा” नामक बौद्ध संप्रदाय को सांत्वना दी — जिन्हें उस समय “गेलुग पा” संप्रदाय द्वारा तिब्बत से निष्कासित किया जा रहा था।
गुरु जी ने उन्हें आश्रय, मार्गदर्शन और मन की शांति दी — यही थी उनके प्रेम और समानता की शिक्षा।
⚔️ और कहते हैं कि इस स्थान पर गुरु जी ने दो राक्षसों का भी अंत किया।
ये राक्षस लोगों को परेशान करते थे।
गुरु जी ने न केवल उन्हें पराजित किया, बल्कि समाज को भय मुक्त किया।
आज भी, उस स्थान की एक चट्टान पर गुरु नानक देव जी के चरणों के निशान देखे जा सकते हैं — जैसे वह कह रहे हों:
“जिस धरती पर मैंने पग रखे, वह धरती आज भी जीवित है मेरे नाम से।”
📿 यह स्थान आज भी श्रृद्धालुओं के लिए एक तीर्थ है — जो गुरु नानक देव जी की करूणा, शक्ति और सार्वभौमिक प्रेम की साक्षी है।