गुरु नानक देव जी की बगदाद साखी | Guru Nanak Dev Ji Baghdad Sakhi | Guru Nanak Sakhi

गुरु नानक देव जी की बगदाद साखी | Guru Nanak Dev Ji Baghdad Sakhi | Guru Nanak Sakhi

गुरु नानक देव जी की बगदाद साखी | Guru Nanak Dev Ji Baghdad Sakhi

गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji), सिख धर्म के प्रथम गुरु, ने पूरे विश्व में ईश्वर का संदेश फैलाने के लिए चार दिशाओं में यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। इन यात्राओं का उद्देश्य था — लोगों को जाति-पाति, धार्मिक अंधविश्वास, पाखंड और सामाजिक भेदभाव से बाहर निकाल कर एक ईश्वर की भक्ति, मानवता की सेवा, और सच्चे जीवन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना।

इन्हीं उदासियों के दौरान गुरु नानक देव जी अपने मुस्लिम साथी भाई मरदाना जी के साथ बगदाद (इराक) पहुँचे। यह यात्रा न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत मूल्यवान है।


🏜️ बगदाद में प्रवेश

जब गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) और भाई मरदाना जी बगदाद पहुँचे, तो उस समय बगदाद इस्लामी संस्कृति का एक बड़ा केंद्र था। वहाँ के लोग मुख्य रूप से इस्लाम धर्म को मानते थे और धार्मिक रूप से बहुत कट्टर थे।

गुरु जी शहर के बाहर एक बगीचे में ठहरे और वहीं बैठकर भगवान का नाम स्मरण करने लगे। भाई मरदाना ने रबाब बजानी शुरू की और गुरु जी ने एक दिव्य शबद गाया:

“ना हम हिंदू, ना मुसलमान।”

(अर्थ: ना हम हिंदू हैं, ना मुसलमान। हम सभी एक ही परमात्मा की संतान हैं।)

इस पंक्ति में छिपा सन्देश यह था कि धर्म का उद्देश्य ईश्वर से जुड़ना है, न कि लड़ाई या भेदभाव करना।


😠 मुस्लिम क़ाज़ी और मौलवियों का विरोध

गुरु जी की यह वाणी सुनकर वहाँ के कुछ कट्टर मुस्लिम मौलवी और क़ाज़ी नाराज़ हो गए। उन्होंने कहा:

“यह व्यक्ति हमारे मज़हब और खुदा का अपमान कर रहा है। इसे शहर में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”

उन्होंने गुरु जी को बुलाया और उनसे सवाल-जवाब शुरू किए। वहाँ के एक प्रमुख धार्मिक नेता, जिसका नाम क़ाज़ी रुकनुद्दीन बताया जाता है, ने गुरु जी से पूछा:

“क्या तुम मुसलमान हो?”

गुरु जी ने उत्तर दिया:

“मैं उस परमात्मा का भक्त हूँ जो न हिंदू है, न मुसलमान। वही अल्लाह है, वही राम है। सबका मालिक एक है।”


📿 गुरु जी की बातचीत सूफी पीर शेख बहलोल से

बगदाद में एक प्रसिद्ध सूफी संत शेख बहलोल दाना रहते थे। जब उन्होंने गुरु नानक जी के विषय में सुना तो वे स्वयं मिलने आए। उनके और गुरु जी के बीच एक दिव्य संवाद हुआ, जिसमें गुरु जी ने बताया:

  • परमात्मा न ही मस्जिदों में कैद है, न ही मंदिरों में।

  • सच्चा अल्लाह या ईश्वर हर एक के भीतर है।

  • नमाज़ या पूजा से पहले दिल को साफ करना जरूरी है।

शेख बहलोल गुरु जी की बातों से बहुत प्रभावित हुए और बोले:

“ऐ नानक, तू तो खुदा का नूर है। तेरी बातों में रूहानी शक्ति है।”


🕌 बगदाद में सम्मान और गुरु जी की दरगाह

धीरे-धीरे बगदाद के लोग, मौलवी और आम नागरिक, गुरु नानक जी की शिक्षाओं से प्रभावित होने लगे। वहाँ एक विशेष स्थान पर, जहाँ गुरु जी ठहरे थे, एक स्मारक (दरगाह) बनाई गई। इस स्थान को आज भी “Baba Nanak’s Shrine” के नाम से जाना जाता है।

गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) ने बगदाद में कई दिन बिताए और वहाँ के लोगों को प्रेम, सेवा, और एकता का संदेश दिया।

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🕊️ साखी से सीख

गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) की बगदाद यात्रा हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देती है:

  1. धर्म इंसान को जोड़ने का माध्यम होना चाहिए, न कि तोड़ने का।

  2. ईश्वर एक है, चाहे उसे अल्लाह कहो या राम।

  3. सच्ची इबादत दिल की सच्चाई और सेवा में है।

  4. हर धर्म में अच्छाई है, पर अंधभक्ति नहीं होनी चाहिए।

  5. आपसी संवाद और प्रेम से ही समाज में बदलाव आता है।


📚 ऐतिहासिक प्रमाण

गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) की बगदाद यात्रा का उल्लेख सिख इतिहास, जनमसाखियों और कई मुस्लिम लेखकों की किताबों में भी मिलता है। 20वीं सदी में एक ब्रिटिश अधिकारी डॉ. दीवान सिंह ने भी इस स्थान को खोजा और बताया कि वहाँ की दीवारों पर पंजाबी में ‘नानक’ शब्द खुदा हुआ है।


📜 निष्कर्ष

गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) की बगदाद यात्रा केवल एक धार्मिक भ्रमण नहीं थी, बल्कि यह एक वैश्विक आध्यात्मिक क्रांति का हिस्सा थी। उन्होंने धर्मों के बीच की दीवारें गिराईं और पूरी मानवता को एक ईश्वर के प्रेम में जोड़ने का संदेश दिया।

आज जब हम धर्म, जाति और मतभेदों में उलझे हैं, तब गुरु जी की यह साखी हमें याद दिलाती है कि:

“मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।”
“सच्चा मुसलमान या सच्चा हिंदू वही है, जो सच्चे दिल से ईश्वर को याद करता है और सबका भला चाहता है।”

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